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किन्नर का इंसाफ भाग 4

अगली सुबह बदली चाल, और अंदाज में सौम्या  उठती है,,,, लेकिन आज 11:00 बज रहे थे सौम्या अभी तक अपने कमरे से बाहर नहीं आई थी ।   सुबह से सौम्या के कमरे में बिमला को सुलेखा दो बार भेज चुकी थी,,,,, लेकिन अभी तक सौम्या बाहर नहीं आई थी,,,,,, ऐसा तो कभी नहीं करती थी सौम्या क्या हुआ आज 11:00 बज तक बाहर नही आई,,,,, रोज तो सुबह जल्दी उठ जाती थी सुलेखा  सोचती है और सौम्या के कमरे में जाती हैं ।  सुलेखा सौम्या को देखकर हैरान रह जाती है सौम्या एक किन्नर की तरह तैयार होकर उसके सामने खड़ी होती है,,,,,

अरे बेटा यह तुमने कैसे कपड़े पहने हुए हैं चौंक कर सुरेखा सौम्या से  कहती है....
क्यों मां तुम्हें पसंद नहीं आए मेरे यह कपड़े क्या....?  मुस्कुराते हुए सौम्या सुलेखा से कहती है,,,
नहीं बेटा कपड़े अच्छे हैं पर तुम पर सूट नहीं कर रहे हैं... सुलेखा सौम्या से बोलती है,,,,,
किन्नरों की तरह ताली बजाते हुए सौम्या सुलेखा को देखती है और बोलती है अच्छा तो किस पर सूट करते हैं यह कपड़े....?
सौम्या को ऐसा बर्ताव देखकर सुलेखा चौंक जाती है और बिना कुछ बोले बाहर आ जाती है ।

थोड़ी देर बाद सौम्या अपने कमरे से मटकते हुए बाहर आती है..... सौम्या को इस अवतार में देखकर सभी नौकर चाकर हैरान हो जाते हैं...... और आपस में फुसफुसाते हैं भाई जमीदार की बेटी है कुछ भी कर सकती है....

इधर सुलेखा अपने कमरे में परेशान बैठी होती है । और सौम्या के बदले व्यवहार के बारे में सोचती है,,,,,
आखिर अचानक क्या हुआ है सौम्या को.... ?
सौम्या इस तरह किन्नरों जैसा बर्ताव क्यों कर रही है....?
रात में भी सौम्या सबके साथ खाना खाने नहीं आती है,,,,

सौम्या कहाँ है  और खाना खाने क्यों नहीं आई...?  जमींदार सुलेखा से पूछता है,,,,,
जी आज उसकी कुछ तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए सौम्या ने अपने कमरे में ही खाना खा लिया है,,,, डर के मारे हकलाते हुए सुलेखा जमीदार से कहती है....
जमींदार खाना खाकर अपने कमरे में जाता है और सुलेखा सौम्या के पास आती है......

मुस्कुराते हुए सौम्य सुलेखा की तरफ देखती है....
क्या हुआ है बेटा तुम्हें तुम अपने पापा को जानती हो ना अगर उन्हें यह सब पता चला तो वह तुम्हारे साथ पता नहीं क्या करेंगे,,,,,, क्यों कर रही हो तुम ऐसा बर्ताव...... सुलेखा रोते हुए सौम्या से बोलती है....
अचानक सौम्या जोर - जोर से हंसने लगती है...
और किन्नरों की तरह तालियां बजाते हुए बोलती है।  "आज तुम्हे बड़ी फिक्र हो रही है अपनी बेटी की..... और सुलेखा का गला दबाने लगती है..... सुलेखा कैसे भी करके सौम्या से अपना गला छुड़ाती है  और बाहर आकर रोने लगती है...... और वह रात भी बीत जाती है....

अगले दिन विमला सौम्या के कमरे में चाय लेकर जाती है और जोर से चीखती है...... विमला की चीख सुनकर जमींदार और सुलेखा दोनों भाग कर सौम्या के कमरे की तरफ आतें हैं और और देखते हैं विमला दरवाजे के पास ही बेहोश पड़ी होती है,,,, विमला को उठाकर आंगन में लाते हैं और सुलेखा सौम्या को आवाज लगाती है.....लेकिन सौम्या के कमरे से कोई आवाज नहीं आती.....

अभी सब विमला के बेहोश होने की वजह से हैरान वहीं आँगन में खड़े ही होते हैं..... तभी पूरे घर में तालियों की आवाज गूंजने लगती है,,,,,, जमीदार चौक कर इधर - उधर देखता है और देखता है सौम्या सीढ़ियों से उतरती हुई नीचे आ रही होती है तालियां बजाते हुए,,,,,,,
यह सब क्या है चिल्लाकर सौम्या से जमींदार पूछता है,,,,,, सौम्या जोर जोर से हंसने लगती है और अचानक वहीं पर बेहोश हो जाती है.....

सौम्या का ऐसा बर्ताव देखकर सुलेखा डर जाती है और पिछले कुछ दिनों से जो भी चल रहा था तालियों की आवाज....चूडियों की खनखनाहट और खिडकी के पास रात के एक बजे किसी  लड़की का रोना सब कुछ जमीदार को बताती है......
किन्नर का नाम सुनते ही जमींदार पहले तो डर जाता है और फिर अपना डर छुपाते हुये बोलता है तुम परेशान मत हो मैं कुछ करता हूँ.....आज ही मैं अपने कुलगुरु के पास जाता हूँ और जमींदार कुलगुरु से मिलने चला जाता है.....

अब दोपहर का खाना लेकर सुलेखा सौम्या के कमरे में आती है लेकिन कमरे में कहीं भी सौम्या दिखाई नहीं देती है,,,,
सौम्या.... 
सौम्या कहां हो बेटा....? सौम्या को सौम्या की माँ सुलेखा आवाज लगाती है,,,,
तभी ऊपर छत की तरफ से सुलेखा को गुर्राने की आवाज सुनाई देती है.....सुलेखा ऊपर की तरफ देखती है....और उसके हाथ से खाने की थाली नीचे गिर जाती है,,,,, क्योंकि सौम्या की आंखे लाल थी और  बाल बिखरे हुये माथा पूरा सिंदूर से रंगा हुआ.... सुलेखा की चीख निकल जाती है और डरकर भागते हुये सुलेखा कमरे से बाहर आती है । और कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर देती है..!
सौम्या के रोने की आवाज अब पूरे घर मे चारों तरफ गूंजती है,,,,,

जमींदार की बेटी किसी किन्नर की तरह बर्ताव कर रही है शायद जमींदार की बेटी के ऊपर किसी किन्नर का साया है यह बात अब पूरे गांव में फैल चुकी थी....जमींदार की गुनाहों की सजा शायद उस मासूम बच्ची को मिल रही है....चारों तरफ यही बातें होने लगती हैं.....

अब जमींदार के घर मे कभी रोने- चीखने की  आवाज से कभी तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा घर गूंजता.....सब इधर डरे हुए होते हैं,,,,,,, और जमीदार भी अपने कुलगुरू के यहां पहुंच जाता है अब, और कुलगुरु को सौम्या के बारे में बताता है....
और कुलगुरु को लेकर अपने घर आता है....

कुलगुरु सौम्या के कमरे में जाता है और देखता है सौम्या का बेड हवा में उड़ रहा है सौम्या के कमरे में रखी चीज़ें अपने आप नीचे गिरने लगती हैं,,,,,,,,
अपने कमण्डल से पानी निकाल कर मंत्र पढ़ते हुए कुलगुरु सौम्या पर डालता है....
और पूछता है कौन हो तुम...?
सौम्या के जोर - जोर से हँसने की आवाज से पूरा कमरा और हवेली गूंजने लगती है,,,,,
और एक बार कुलगुरु की तरफ देखती है और कुलगुरु सौम्या के कमरे से उड़ते हुए एक झटके में बाहर आँगन में गिरता है....
और हँसी और तालियों की गड़गड़ाहट से पूरी हवेली गूंजती है....

कुलगुरु का सर फट चुका था और और वो बेहोश था जमींदार जल्दी कुलगुरु को लेकर हॉस्पिटल जाता है कुलगुरु होश में आते ही बोलता है तुम्हारा परिवार बहुत बड़े खतरे में है,,,,, वो बहुत शक्तिशाली आत्मा है । और एक तांत्रिक का पता जमीदार को देता है । और कुलगुरु की मौत हो जाती है.....


आगे की कहानी अगले भाग में.....



सोनिका शुक्ला


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1 Comments

आयुषी सिंह

01-Jul-2021 06:20 PM

बहुत सुंदर रचना

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